11-03-81  ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा       मधुबन

"सफलता के दो मुख्य आधार"

आज खुदा दोस्त अपने बच्चों से फ्रेंड के रूप में मिल रहे हैं। एक खुदा दोस्त के कितने फ्रेंडस होंगे? वैसे सतगुरू भी हैं, शिक्षक भी हैं, सर्व सम्बन्ध निभाने वाले हैं। आप सबको सबसे ज्यादा प्यारा सम्बन्ध कौन-सा लगता है? किसको टीचर अच्छा लगता, किसको साजन अच्छा लगता, किसको फ्रेंड अच्छा लगता है। लेकिन है तो एक ही ना। इसलिए एक से कोई भी सम्बन्ध निभाने से सर्व प्राप्ति हो ही जायेगी। यही एक जादूगरी है। जो एक से ही जो चाहो वह सम्बन्ध निभा सकते हो। और कहाँ जाने की आवश्यकता ही नहीं। इससे कोई और मिले यह इच्छा खत्म हो जाती है। सर्व सम्बन्ध की प्रीत निभाने के अनुभवी हो चुके हो? हो चुके हो या अभी होना है? क्या समझते हो! पूर्ण अनुभवी बन चुके हो? आज आफीशल मुरली चलाने नहीं आये हैं। बाप-दादा भी अपने सर्व सम्बन्धों से दूर-दूर से आई हुई आत्माओं को देख हर्षित हो रहे हैं। सबसे दूरदेशी कौन हैं? आप तो फिर भी साकारी लोक से आये हो, बाप-दादा आकारी लोक से भी परे निराकारी वतन से आकारी लोक में आये फिर साकार लोक में आये हैं। तो सबसे दूरदेशी बाप हुआ या आप हुए? इस लोक से हिसाब से जो सबसे ज्यादा दूर से आये हैं उन्हो को भी बाप-दादा स्नेह से मुबारक दे रहे हैं। सबसे दूर से आने वाले हाथ उठाओ। जितना दूर से आये हो, जितने मालइ चलकर आये हो उतने माइल से पदमगुणा एड करके मुबारक स्वीकार करें।

फारेनर्स अर्थात् फार एवर। ऐसे वरदानी हो ना? फारेनर्स नहीं लेकिन फार एवर। सदा सेवा के लिए एवररेडी। डायरेक्शन मिला और चल पड़े, यह है फार एवर ग्रुप की विशेषता। अभी-अभी अनुभव किया और अभी-अभी अनुभव कराने के लिए हिम्मत रख सेवा परउपस्थित हो जाते। यह देख बाप-दादा भी अति हर्षित होते हैं। एक से अनेक सेवाधज्ञरी निमित्त बन गये। सेवा की सफलता के विशेष दो आधार हैं, वह जानते हो? (कई उत्तर निकले) सबके उत्तर अपने अनुभव के हिसाब से बहुत राइट हैं। वैसे सेवा में वा स्वंय की चढ़ती कला में सफलता का मुख्य आधार है - एक बाप से अटूट प्यार। बाप सिवाए और कुछ दिखाई न दे। संकल्प में भी बाबा, बोल में भी बाबा, कर्म में भी बाप का साथ। ऐसी लवलीन आत्मा एक शब्द भी बोलती है तो उसके स्नेह के बोल दूसरी आत्मा को भी स्नेह में बाँध देते हैं। ऐसी लवलीन आत्मा का एक बाबा शब्द ही जादू की वस्तु का काम करता है। लवलीन आत्मा रूहानी जादूगर बन जाती है। एक बाप का लव अर्थात् लवलीन आत्मा। दूसरा सफलता का आधार हर ज्ञान की पाइंट के अनुभवी मूत होना। जैसे ड्रामा की पाइंट देते हैं, तो एक होता है नालेज के आधार पर पाइंट देना। दूसरा होता है। अनुभवी मूर्त्त होकर पाइंट देना ड्रामा की पाइंट के जो अनुभवी होंगे वह सदा साक्षीपन की स्टेज पर स्थिति होंगे। एक रस, अचल और अडोल होंगे। ऐसी स्थिति में स्थित रहने वाले को अनुभवी मूर्त्त कहा जाता है। रिजल्ट में बाहर के रूप से भले अच्छा हो वा बुरा हो। लेकिन ड्रामा के पाइंट की अनुभवी आत्म कभी भी बुरे में भी बुराई को न देख अच्छाई ही देखेगी अर्थात् स्व के कल्याण का रास्ता दिखाई देगा। अकल्याण का खाता खत्म हुआ। कल्याणकारी बाप के बच्चे होने कारण कल्याणकारी युग होने कारण अब कल्याण खाता आरम्भ हो चुका है। इस नालेज और अनुभव की अथार्टी से सदा अचल रहेंगे। अगर गिनती करो तो आप सबके पास कितने प्रकार की अथार्टीज हैं। और आत्माओं के पास एक दो अथार्टी होगी। किसको साइन्स की, किसको शास्त्र की, किसको डाक्टरी के नालेज की, किसको इन्जीनियरी के नालेज की अथार्टी होगी, आपको कौन सी अथार्टी है? लिस्ट निकालो तो बहुत लम्बी लिस्ट हो जायेगी। सबसे पहली अथार्टी वर्ल्ड आलमाइटी आपका हो गया। वर्ल्ड आलमाइटी की अथार्टी। जब वर्ल्ड आलमाइटी बाप आप का हो गया तो वर्ल्ड की जो भी अथार्टीज हैं वह आपकी हो गई। ऐसे लिस्ट निकालो। वर्ल्ड के आदि मध्य अन्त के नालेज की अथार्टी, जिस नालेज के यादगार शास्त्र बाइबिल वा कुरान आदि सब हैं। इसलिए गीता ज्ञान को सर्व शास्त्र वा बुक्स का माई बाप कहते हैं। शिरोमणी कहा जाता है। डायरेक्ट गीता कौन सुन रहा है? तो अथार्टी हो गये ना। इसी प्रकार सर्व धर्में में से नम्बरवन धर्म किसका है? (ब्राह्मणों का) आपके ब्राह्मण धर्म द्वारा ही सब धर्म पैदा होते हैं ब्राह्मण धर्म तना है। और भी इस धर्म की विशेषता है। ब्राह्मण धर्म डायरेक्ट परमपिता का स्थापन किया हुआ है। और धर्म, धर्मपिताओं के हैं और यह धर्म परमपिता का है। वह बच्चों द्वारा हैं। सन आफ गाड कहते हैं। वह गाड नहीं हैं। तो डायरेक्ट परमपिता द्वारा श्रेष्ठ धर्म की स्थापन हुआ, उस धर्म की अथार्टी हो। आदि पिता ब्रह्मा के डायरेक्ट मुख वंशावली की अथार्टी वाले हो। सर्वश्रेष्ठ कर्म के प्रैक्टिकल जीवन की अथार्टी हो। श्रेष्ठ कर्म की प्रालब्ध विश्व के अखण्ड राज्य के अधिकार की अथार्टी हो। भक्तों के पूज्य की अथार्टी हो। ऐसे और भी लिस्ट निकालो तो बहुत निकलेगा। समझा आप कितनी बड़ी अथार्टी हो! भक्तों के पूज्य की अथोर्टी हो। ऐसे और भी लिस्ट निकालो तो बहुत निकलेगा। समझा आप कितनी बड़ी अथार्टी! ऐसे अथार्टी वालों को बाप भी नमस्ते करते हैं। यह सबसे बड़ी अथार्टी है। ऐसे अथार्टी वालों को देख बाप-दादा भी हर्षित होते हैं।

सबने बहुत अच्छी मेहनत कर सेवा के कार्य को विस्तार में लाया है। अपने भटके हुए भाई बहनों को रास्ता बताया है। प्यासी आत्माओं को शान्ति और सुख की अंचली दे तृप्त आत्मा बनाने का अच्छा पुरूषार्थ कर रहे हैं। बाप से किया हुआ वायदा प्रैक्टिकल में निभा के बाप के सामने गुलदस्ते लाये हैं, चाहे छोटे हैं वा बड़े हैं। लेकिन छोटे भी बाप को प्रिय हैं। अब यह वायदा तो निभाया है, और भी विस्तार को प्राप्त करते रहेंगे। कोई ने नैकलेस बनाके लाया है, कोई ने माला बनाके लाई है। कोई ने कंगन, कोई ने रिंग बना के लाई है। तो सारी बाप-दादा की ज्वैलरी। एक-एक रतन वैल्युबल रतन है। ज्वैलरी तो बहुत बढ़िया लाई है बाप के सामने। अब आगे क्या करना है? ज्वैलरी को अब क्या करेंगे? (पालिश) मधुबन में आये हो तो पालिश हो ही जायेगी। अब शो केस मे रखो। वर्ल्ड के शोकेस में यह ज्वैलरी चमकती हुई सभी को दिखाई दे। शोकेस में कैसे आयेंगे? बाप के सामने आये, ब्राह्मणों के सामने आये यह तो बहुत अच्छा हुआ। अब वर्ल्ड के सामने आवे। ऐसा प्लैन बनाओ जो वर्ल्ड के कोने-कोने से यह आवाज निकले। कि यह भगवान के बच्चे कोने-कोने में प्रत्यख हो चुके हैं। चारों ओर एक ही लहर फैल जाए। चाहे भारत में चाहे विदेश के कोने-कोने में। जैसे एक ही सूर्य वा चन्द्रमा समय के अन्तर में दिखाई तो एक ही देता है ना। ऐसे यह ज्ञान सूर्य के बच्चे कोने-कोने से दिखाई दें। ज्ञान सितारों की रिमझिम चारों ओर दिखाई दे। सबके संकल्प में, मुख में यही बात हो कि ज्ञान सितारे ज्ञान सूर्य के साथ प्रगट हो चुके हैं। तब सब तरफ का मिला हुआ आवाज चारों आरे गूंजेगा। और प्रत्यक्षता का समय आयेगा। अभी तो गुप्त पार्ट चल रहा है। अब प्रत्यक्षता में लाओ। इसका प्लैन बनाओ फिर बाप-दादा भी बतायेंगे।

एक-एक रतन की विशेषता वर्णन करें तो अनेक रातें बीत जाएं। हरेक बच्चे की विशेषता हरेक के मस्तक पर मणी के माफिक चमक रही है।

ऐसे सर्व विशेष आत्माओं को, सर्व सपूत अर्थात् सर्विस के सबूत देने वाले, सदा सेवा और याद में रहने वाले सर्विसएबुल मास्टर आलमाइटी अथार्टी, सर्व की मनोकामनाएं पूर्ण करने वाले अति लवली, लवलीन बच्चों को बाप-दादा का याद प्यार और नमस्ते।

प्रश्न:- बाप सदा बच्चों को आहवान करते हैं, बाप को भी सभी बच्चे बहुत प्रिय हैं - क्यों?

उत्तर:- बच्चे न हों तो बाप का नाम भी बाला न हो। बाप को बच्चे सदा प्रिय हैं क्योंकि बाप हर बच्चे की विशेषता को देखते हैं। बाप बच्चों के तीनों कालों को जानते हैं। भक्ति में भी कितना धक्का खाया यह भी जानते हैं और अब भी अपने-अपने यथाशक्ति कितना पुरूषार्थ कर आगे बढ़ रहे हैं यह भी जानते हैं और भविष्य में क्या बनने वाले हैं यह भी बाप के आगे स्पष्ट है, तो तीनों कालों को देख बाप को हर बच्चा अति प्रिय लगता है। को देख बाप को हर बच्चा अति प्रिय लगता है।